कैसे करें शनि ग्रह की शान्ति – जानें प्रभाव व उपाय

कैसे करें शनि ग्रह की शान्ति

शनि ग्रह को ज्योतिष में न्याय का देवता कहा गया है और शनि धीमी गति से चलते हैं । शनि ग्रह अपनी दशा अन्तर्दशा में देर से मगर निश्चित फ़ल प्रदान करते हैं । शनि के लिये कह गया है कि वे जिस भी स्थान में होते है उसकी वृध्दि जरूर करते हैं । शनि की मूल त्रिकोण राशि कुम्भ है जबकि शनि ग्रह भी दो राशि मकर और कुम्भ के स्वामी हैं । इनका वर्ण नीला और वायु तत्व प्रधान ग्रह हैं । शनि ग्रह का प्रभाव व्यक्ति के व्यक्तित्व में भी प्रभाव डालता है और उसे धैर्य, संयम, सच्चाई, न्यायप्रियता और उच्चता की प्राप्ति में मदद करता है।

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उच्च या शुभ शनि का फ़ल:

शनि ग्रह तुला राशि में निश्चित अंश पर उच्च के होते हैं और शनि की शुभ अवस्था से जातक को सकारात्मक फल की प्राप्ति होती है। ऐसा जातक कर्मठ, कर्मशील और न्यायप्रिय तो होता ही है साथ में अपने कार्यक्षेत्र में अपार सफलता भी प्राप्त करता है । शनि जातक को सयंम और धैर्य प्रदान करता है । शनि ग्रह जातक को अपने शुभ कर्मों के फल को अनुभव करने के लिए प्रेरित करता है और उसे जीवन के कठिनाइयों से सामर्थ्यपूर्ण बनाने में मदद करता है।

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कमजोर या नीच शनि का फ़ल:-

शनि ग्रह मेष राशि में निश्चित अंश पर नीच के होते हैं । और जब जातक पर शनि की साढे साती चलती है तो साढे सात साल तक उसके कर्मों का फ़ल प्रदान करके उसे वास्तविकता का परिचय कराते हैं । ऐसा माना जाता है कि साढे साती का पहला चरण यदि कष्टप्रद हो तो आखिरी चरण में उसे गलतियां सुधारने का मौका देता है और शुभ फ़ल प्रदान करता है। शनि ग्रह अच्छे और बुरे कर्मों का समान रूप से फ़ल प्रदान करता है । पीडित शनि के प्रभव से जीवन में कई प्रकार की परेशानियां पैदा होती हैं और दुर्घटना, शारीरिक, मानसिक कष्ट के साथ साथ कानूनी मामलों में फ़ंसकर कारावास जैसी परिस्थितियों भी पैदा कर देता है ।

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शनि ग्रह की शान्ति और बलवान करने के उपाय:

ज्योतिष शास्त्र में शनि ग्रह की शान्ति या साढे साती की शान्ति के लिये निश्चित संख्या या यथासामर्थ्य मन्त्र जाप , दान, स्नान, हवन, जड़ी-बूटी धारण, रत्न धारण करना, औषधि स्नान, व्रत, यन्त्र स्थापना और पूजन आदि का सुझाव दिया गया है ।

• शनिवार को शनि के वैदिक मन्त्र, लौकिक मन्त्र, शनि गायत्री मन्त्र या बीज मन्त्र का यथाशक्ति जाप करना चाहिये ।
• शनि यन्त्र की स्थापना और पूजन करें ।
• नीलम रत्न धारण करना चाहिये ।
• नीलम या नीली रत्न का लोकेट बनाकर पहनना चाहिये ।
• शनिवार का व्रत रखना चाहिये ।
• उडद, नीली, लोहा, कुलथी, तेल, काला वस्त्र, काले जूते कस्तूरी आदि दान करें
• काले तिल, सूरमा, लोबान, सौंफ़, खस, शतकुसुम, गंगाजल मिश्रित जल से स्नान करें ।

शनि ग्रह की शान्ति हेतु मन्त्र:

पौराणिक मंत्र: ॐ निलान्जन समाभासं रविपुत्रं यमाग्रजम।
छायामार्तंड संभूतं तं नमामि शनैश्चरम॥
वैदिक मन्त्र: ॐ शं नो देवीरभिष्टय आपो भवन्तु पीतये। शं योरभि स्त्रवन्तु न:।।
गायत्री मंत्र: ॐ भग भवाय विद्महे मृत्यु-रूपाय धीमहि तन्नो शौरीहि प्रचोदयात् ||
तांत्रिक मंत्र: ॐ शं शनैश्चराय नमः।।
बीज मन्त्र: ॐ प्रां प्रीं प्रौं सः शनैश्चराय नमः।।

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