क्या कहती है महागठबन्धन I . N . D . I . A . की कुण्डली ?

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महागठबन्धन जिसका नामकरण अब I.N.D.I.A रखा गया है और विपक्षी खेमे को इस नाम और इस बन्धन से 2024 के चुनाव में बहुत चमत्कार होने की उम्मीद है , आइये जानते हैं कि क्या कहती है इनकी कुण्डली । महागठबन्धन के I.N.D.I.A का उदय 18 जुलाई 2023 को हुआ और इस दिन ग्रहों की स्थिति इस प्रकार थी । मान सम्मान दिलाने वाला ग्रह वृहस्पति मेष राशि में राहु के साथ गुरु चाण्डाल योग बना कर बैठा है । अत: मान सम्मान जितना भी मिले लेकिन ये नाम चर्चा में बहुत रहने की उम्मीद है । कर्क राशि में सूर्य, बुध और चन्द्रमा है , और मन के कारक चन्द्रमा के अस्त होने के कारण गठबन्धन से जुडी पार्टियों के प्रमुखों के मन की स्थिति स्थिर नहीं रहेगी और उनके मन में सन्देह बहुत रहेंगे जिससे वे एक साथ जरूर दिखेंगे लेकिन मन में उनका कुछ और ही चल रहा होगा। 

ऐसा भी कह सकते हैं कि इनके अन्दर दूरदर्शिता का अभाव रहेगा। ये लोग भावनाओं में बहकर ऊल-जलूल बयान बाजी करके अपनी छवि स्वयं खराब करेंगे। सूर्य राजा होकर शासन का सुख दिलाता है और सूर्य कुण्डली में मृत अवस्था में है अत: पूर्ण रूप से सत्ता का सुख इन्हें प्राप्त होगा इसमें भी सन्देह नजर आ रहा है।

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इसके अलावा शुक्र और मंगल सूर्य की राशि सिंह में विराजमान हैं और स्थिर राशि में इन दोनों ग्रहों का होना ये दर्शाता है कि जितना तेजी से सत्ता पाने की इनकी लालसा बढ रही है उतनी ही विचारों की भिन्नता चुनाव आने तक इन दलों के बीच में सम्भव है । ऐसा भी सम्भव है कि चुनाव आने पर सीटों के बंटवारे को लेकर ही ये आपस में भिड सकते है और कुछ दल खुद को महागठबन्धन धर्म से अलग करने का फ़ैसला तक ले सकते हैं । इसमे कुछ बडे दलों का बडा नुकशान भी हो सकता है और सभी दल अपने अस्तित्व की लडाई लडते दिखेंगे और इसका सीधा असर इनके चुनाव परिणाम पर पड सकता है । केतु ग्रह शुक्र की राशि तुला में विराजमान है जो दर्शाता है कि जिन लोगों को महागठबन्धन में निर्णय लेने के लिये सर्वसम्मति से चुना जायेगा उसमे भी कुछ दलों की आपत्तियां आ सकती है फ़ल स्वरूप न्यायाधीशी और विवादों से संबंधित समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं। भले ही थोडे समय के लिये इन समस्याओं का समाधान कर लिया जायेगा लेकिन दूरगामी परिणाम सामान्य नहीं दिख रहे ।

शनि ग्रह वक्री अवस्था में अपनी स्वराशि कुम्भ में स्थित हैं जो दर्शाता है कि शुरुआती दौर में सभी दलों में उत्साह नजर आयेगा और वे संगठन के कामों में सक्रिय भी नजर आयेंगे लेकिन कुछ दलों के समर्थकों को सगठन के साथ काम करने में असहजता महसूस हो सकती है। लेकिन इतना जरूर है कि गठबन्धन के लिये संगठन में रहकर चुनावी रणनीति बनाना और एक साथ रहकर चुनाव लडना एक अनुसंधान जरूर हो सकता है, इससे भविष्य की योजना बनाने में आसानी रहेगी । इसके अलावा ऐसा भी अनुमान है कि कुछ छोटे दल आपस में एक दूसरे के साथ भविष्य के लिये विलय कर सकते हैं ऐसे में उनकी ताकत जरूर बढ सकती है ।

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निष्कर्ष :-  आखिर में हम ज्योतिष को आधार मानकर यही कहेंगे कि आने वाले लोकसभा चुनाव में गठबन्धन काफ़ी चर्चा में रह सकता है और इस में वोट शेयरिंग का नुकशान बडी पार्टियों को सहना पडेगा और छोटे दलों की ताकत में इजाफ़ा होगा । भविष्य में छोटे दलों का आपस में विलय होने से दलों की सख्या में कमी आयेगी और सत्ताधारी पक्ष को इस गठबन्धन से बहुत ज्यादा नुकशान नहीं होगा । फ़िलहाल गठबन्धन के सिर पर सत्ता का ताज अभी दूर-दूर तक नहीं दिख रहा लेकिन जो अनुभव उन्हे अर्जित होगा उससे भविष्य की राह आसान जरूर हो सकती है।

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