शारदीय नवरात्रि पूजन का महत्व | जानें कब से हो रहे शुरू व कलश स्थापना का मुहूर्त

नवरात्रि 2023

हिन्दुओं का पावन और पवित्र पर्व नवरात्रि बडे ही धूम धाम से साल में चार बार मनाया जाता है लेकिन शारदीय नवरात्रि पूजन का त्योहार देश के हर क्षेत्र में बडी ही श्रध्दा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। इसमें मां भगवती के नौ प्रमुख रूपों की पूजा अलग-अलग शक्ति के रूप में की जाती है। मुख्य तौर पर मां सरस्वती; मां लक्ष्मी और मां महाकाली के रूप में पूजा की जाती है। नव रात्रि का अर्थ उन पवित्र नौ दिनों से है जब मां की श्रध्दा भाव से पूजा करने पर उन्हें शीघ्रता से मनाया जा सकता है क्योंकि मां बहुत दयालु होती है और अपने भक्तों पर शीघ्र कृपा बरसाती हैं । सभी भक्त अपनी-अपनी श्रध्दा भाव के अनुसार इस दौरान व्रत आदि का आचरण करके मां की उपासना करते हैं और वैदिक ब्राह्मण को घर बुलाकर दुर्गा सप्तसती का पाठ करवाते हैं । किसी भी तरह के जाने अनजाने में किये गये पाप; परेशानियों से मुक्ति और जीवन में सुख समृद्धि के लिए नवनात्रि में पूजा अर्चना की जाती है। शक्ति की प्रतीक मां भगवती की पूजा से भय से मुक्ति मिलती है और घर के वातावरण में शुध्द्ता आती है । मन में आ रहे बुरे विचार दूर होते हैं और सांसारिक जीवन जीने की कला का विकास होता है। मां की कृपा से सरस्वती और लक्ष्मी की कृपा सदा बनी रहते है। नौ दिन तक व्रत या पूजा करने के बाद नवमी के दिन मां भगवती की विशेष पूजा अर्चना की जाती है और हवन करके कन्याओं को भोजन और ब्राहमण को दक्षिणा देकर अपने लिए सुख की कामना की जाती है ।

नवरात्री दिनांक:

आश्विन नवरात्रि के प्रत्येक दिन दुर्गा के अलग-अलग नौ अवतारों की पूजा की जाती है । इसमें शैलपुत्री; ब्रह्मचारिणी; चंद्रघंटा; कुष्मांडा; स्कंदमाता; कात्यायनी; कालरात्रि; महागौरी और सिद्धिदात्री की पूजा की जाती है ।

इस साल शारदीय नवरात्रि पूजन रविवार 15 अक्टूवर 2023 से सोमवार 23 अक्टूवर 2023 तक होगी। 22 अक्टूवर को दुर्गाष्टमी है और 23 अक्टूवर 2023 को महानवमी मनाई जाएगी। 24 विजयादशमी ; अपराजिता पूजन किया जायेगा ।

नवरात्री पूजा के लाभ :-:

• आर्थिक; शारीरिक और मानसिक परेशानियां दूर होती हैं ।
• घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होकर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है ।
• रोजगार की प्राप्ति के साथ कर्ज से मुक्ति मिलते है ।
• विरोधी परास्त होते हैं और मनोबल बढता है ।
• व्यापार में तरक्की और बुरी नजर से छुटकारा मिलता है ।
• सन्तान सुख के अलावा दाम्पत्य सुख मिलता है ।

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देवी दुर्गा का आगमन हाथी पर
देवी दुर्गा का प्रस्थान चरणायुध पर
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पहली नवरात्रि पूजा 15 अक्टूबर 2023 – घटस्थापना; शैलपुत्री पूजा
दूसरी नवरात्रि पूजा 16 अक्टूबर 2023 – ब्रह्मचारिणी पूजा
तीसरी नवरात्रि पूजा 17 अक्टूबर 2023 – चन्द्रघण्टा पूजा
चौथी नवरात्रि पूजा 18 अक्टूबर 2023 – कूष्माण्डा पूजा
पांचवी नवरात्रि पूजा 19 अक्टूबर 2023 – स्कन्दमाता पूजा
छठी नवरात्रि पूजा 20 अक्टूबर 2023 – कात्यायनी पूजा
सप्तमी पूजा 21 अक्टूबर 2023 – कालरात्रि पूजा
अष्टमी पूजा 22 अक्टूबर 2023 – सरस्वती पूजा; दुर्गा अष्टमी; महागौरी पूजा
महानवमी पूजा 23 अक्टूबर 2023 – आयुध पूजा; सिधिदात्री पूजन; नवमी हवन;
नवरात्रि का दिन 10 वां दिन याने कि विजयदशमी; अपराजिता पूजन 24 अक्टूबर 2023

घटस्थापना रविवार; 15 अक्टूबर 2023 को
घटस्थापना मुहूर्त – प्रात: 11:44 बजे से दोपहर 12:30 बजे तक
कुल अवधि – 00 घण्टे 46 मिनट्स
घटस्थापना मुहूर्त प्रतिपदा तिथि पर है।
घटस्थापना मुहूर्त निषिद्ध चित्रा नक्षत्र के दौरान है।
प्रतिपदा तिथि प्रारम्भ – 14 अक्टूबर 2023 को रत्रि 11:24 बजे से
प्रतिपदा तिथि समाप्त – 16 अक्टूबर 2023 को प्रात : 00:32 बजे
चित्रा नक्षत्र प्रारम्भ – 14 अक्टूबर 2023 को शाम 04:24 बजे प्रारम्भ
चित्रा नक्षत्र समाप्त – 15 अक्टूबर 2023 को शाम 06:13 बजे तक
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नवरात्री पूजन की तैयारियां:

शारदीय नवरात्रि पूजन शुरु होने से एक दिन पूर्व पूजा की समस्त सामग्री- रोली; मौली; जौ-तिल; धूप; दीप; नैवैद्य; फ़ल; फ़ूल; ताम्बूल; वस्त्र इत्यादि के अलावा कलश के निमित्त लोटा; सप्तमृतिका; सर्वोषधि एव जटायुक्त नारियल और आम के पत्तों की व्यवस्था करनी जरूरी है।

प्रथम शारदीय नवरात्रि पूजन को प्रात:काल उठकर स्नानादि नित्य कर्मो से निवृत्त होकर सर्व प्रथम कलश स्थापना करें। और कलश स्थापना को छोडकर अन्य दिन भी मां भगवती के अन्य स्वरूपों की पूजा प्रथम दिन की तरह करनी चाहिये।

पूजा के समय सर्व प्रथम अपनी शुद्धि करके आचमन करें । फ़िर आसन शुद्धि करके अपने मस्तक पर चंदन लगाना चाहिये। फ़िर दीपक जलायें और स्वस्तिवाचन या शान्ति पाठ करना चाहिये । इसके पश्चात कार्य की सिध्दि के लिए संकल्प लेकर फ़िर गणेश जी और दुर्गा का ध्यान करते हुये अन्य देवी देवताओ का ध्यान और फ़िर दूध; दही घी; शहद आदि से स्नान करवा कर वस्त्र दान करन चाहिये और षोडसोपचर विधि से पूजन करके आरती करनी चाहिये। दिन भर व्रत का आचरण करके शाम को देवी को भोग लगाकर अपने परिवार सहित मां भगवती की पुन: आरती की जानी चाहिये। तत्पश्चात अपना व्रत खोलना चाहिये।

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विजयदशमी / जानिए महत्व; शुभ मुहूर्त; पूजा विधि:

विजयदशमी का महत्व:

विजयदशमी का त्योहार अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है। यह त्योहार जीत का प्रतीक और बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में मनाया जाता है। विजयदशमी के दिन ही भगवान श्री राम ने दशानन रावण का वध किया था। इसी कारण से इस त्योहार को विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। विजयदशमी से नौ दिन पहले यानी शारदीय नवरात्रि पूजन पर कई जगह रामायण आदि का मंचन किया जाता है।

जिसके बाद दशमी तिथि पर रामायण के अंत के साथ ही रावण; मेघनाद और कुंभकर्ण के पुतले फूंके जाते हैं। विजयदशमी के पर्व पर भारत में कई जगह पर मेले भी लगते हैं। वैसे तो विजयदशमी का त्योहार पूरे भारत में मनाया जाता है। लेकिन उत्तर भारत में इस त्योहार को बहुत ही ज्यादा महत्व दिया जाता है। विजयदशमी के इस त्योहार को विजयदशमी के अलावा अन्य नामों से भी जाना जाता है।

शुभ मुहुर्त:

विजयादशमी मंगलवार 24 अक्टूबर 2023 को
विजय मुहूर्त – दोपहर 01:58 बजे से 02:43 तक
कुल अवधि – 00 घण्टे 45 मिनट्स
बंगाल विजयादशमी मंगलवार; अक्टूबर 24; 2023 को
अपराह्न पूजा का समय – दोपहर 01:13 बजे से 03:28 बजे तक
कुल अवधि – 02 घण्टे 15 मिनट्स
दशमी तिथि प्रारम्भ – 23 अक्टूबर 2023 को शाम 05:44 बजे से
दशमी तिथि समाप्त – 24 अक्टूबर 2023 को दोपहर 03:14 बजे तक

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विजयदशमी की पूजा विधि:

विजयदशमी के दिन शस्त्र पूजा के विशेष महत्व दिया जाता है। इसलिए इस दिन श्रत्रिय लोग शस्त्र पूजा करते हैं। शस्त्रों की पूजा से पहले सभी शस्त्रों को पूजा स्थान पर लाल कपड़ा बिछाकर रखकर  इन पर गंगाजल छिड़कते हैं। इसके बाद शस्त्रों पर हल्दी और कुमकुम का तिलक करके और फूल चढ़ाते हैं । इसके बाद भगवान श्री राम का ध्यान करें और पूजा समाप्त होने के बाद सभी शस्त्रों को उनके स्थान पर यथावत रख दिया जाता है ।

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