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कैसे करें चन्द्रमा की शान्ति – जानें प्रभाव व उपाय
किसी भी जातक की जन्म कुण्डली में चन्द्रमा का मजबूत होना बहुत आवश्यक है, क्योंकि चन्द्रमा मन का कारक ग्रह होता है । जन्मकुण्डली में चन्द्रमा कर्क राशि का स्वामी ग्रह है और यह भी सूर्य की भांति मात्र एक राशि का प्रतिनिधित्व करता है। जैसा कि हम पूर्व में भी बता चुके हैं कि बाकी सभी ग्रह दो-दो राशियों के स्वामी हैं। जितना जरूरी सूर्य ग्रह है उतना ही आवश्यक इस धरा के लिये चन्द्रमा भी है । वैदिक ज्योतिष में सूर्य ग्रह के बाद चन्द्रमा का स्थान है चन्द्रमा मन के अलावा माता, मनोबल अर्थात मानसिक स्थिति, द्रव्य वस्तुओं का कारक होता है। नक्षत्रों में रोहिणी, हस्त और श्रवण नक्षत्र का स्वामी चन्द्रमा है। ये सबसे तेज गति से चलने वाला ग्रह है लगभग सवा दो दिनों में एक राशि से दूसरी राशि में संचरण करता है। दिनों में सोमवार चन्द्र ग्रह को समर्पित होता है।
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उच्च या बलवान चन्द्रमा का फ़ल :
राशिफल को ज्ञात करने के लिए चंद्रमा का ही विचार किया जाता है और कुण्डली की जिस भी राशि में चन्द्रमा स्थित होता है वही जातक की चन्द्र राशि कहलाती है । चन्द्रमा की मूल त्रिकोण राशि वृष राशि है, जबकि ये सत्व गुण प्रधान और इनकी जाति वैश्य है । इसका वर्ण श्वेत रंग और उच्च राशि वृष होने के साथ जल तत्व प्रधान और सौम्य ग्रह की श्रेणी में आता है । जिस भी जातक की कुण्डली में चन्द्रमा बलवान हो तो जातक उच्च मनोबल का होता है , किसी भी बात से जल्दी नहीं घबराता और सकारात्मक ऊर्जा के साथ सकारात्मक परिणाम भी जातक को प्रदान करता है।
ऐसा जातक सदा मानसिक रूप से सुख और शान्ति महसूस करता है और उसकी कल्पना शक्ति भी जबरदस्त होती है। इसके अलावा चन्द्रमा के बलवान होने पर जातक देखने में सुंदर और आकर्षक होता है। स्वभाव से नरम और साहसी तो होता ही है साथ में अपने सिद्धांतों का बहुत ख्याल रखता है । जातक कल्पनाशील होने के अलावा संवेदनशील और भावुक भी होता है।
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नीच या कमजोर चन्द्रमा का प्रभाव:
चन्द्रमा बृश्चिक में नीच राशि का होता है । चन्द्रमा की कमजोर स्थिति बलवान होने के ठीक विपरीत परिणाम देता है । ऐसा जातक मनोरोगी या मानसिक पीडा से ग्रस्त और छोटी-२ बातों पर जल्दी घबराने वाला होता है । ये उदास तो रहते ही है लेकिन नकारात्मक ऊर्जा से भी घिरे रहते हैं। अक्सर देखा गया है कि इनकी स्मृति भी कमज़ोर होती है और मन में उल्टे-सीधे विचार आते रहते हैं । ऐसे जातकों को मस्तिष्क पीड़ा, सिरदर्द, भय, घबराहट, तनाव, डिप्रेशन, सम्बन्धि परेशानियां ज्यादा रहती हैं ।
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चन्द्र ग्रह की शान्ति और बलवान करने के उपाय:
ज्योतिष शास्त्र में चन्द्र ग्रह की शान्ति के लिये निश्चित संख्या या यथासामर्थ्य मन्त्र जाप , दान, स्नान, हवन, जड़ी-बूटी धारण, रत्न धारण करना, औषधि स्नान, व्रत, यन्त्र स्थापना और पूजन आदि का सुझाव दिया गया है ।
• चन्द्रोदय के समय नित्य या सोमवार को घी का दीपक दिखाकर पूजा करनी चाहिये ।
• चन्द्रमा के वैदिक मन्त्र, लौकिक मन्त्र, चन्द्र गायत्री मन्त्र या बीज मन्त्र का यथाशक्ति जाप करना चाहिये ।
• मोती रत्न धारण करना चाहिये ।
• मोती की माला धारण करनी चाहिये ।
• चन्द्र यन्त्र की स्थापना करनी चाहिये
• चान्दी के वरतनों का प्रयोग करना चाहिये ।
• सोमवार के व्रत रखने चाहिये ।
• चावल, मोती, चांदी, सोना, श्वेत बैल, मिश्री, दही, श्वेत पुष्प, श्वेत वस्त्र, श्वेत चन्दन, शंख, कपूर दान करना चाहिये ।
• पंचगव्य, दूध, गोबर, गजमद, शंख सीप, गंगाजल, श्वेत चन्दन, स्पटिक, गोमूत्र आदि से मिले जल से स्नान करना चाहिये ।
सुविधा हेतु मन्त्र:
तन्त्रोक्त चन्द्र मन्त्र – ॐ श्रां श्रीं श्रीं सः चन्द्रमसे नमः ।
पुराणोक्त चन्द्र मन्त्र- ह्रीं दधि शंख तुषाराभं क्षीरोदार्णव सम्भवम् ।
नमामि शशिनं सोमं शंभोर्मुकुट भूषणम् ॥
चन्द्रमा गायत्री मन्त्र – ॐ अमृतांगाय विद्महेर्य
गायत्री मंत्र – ॐ अदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमही। तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ||
चन्द्र अर्घ्य मन्त्र – ॐ सोम सोमाय नम:
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