ज्योतिष ज्ञान: कुंडली क्या है और इसे कैसे पढ़ें?

कुंडली क्या है और इसे कैसे पढ़ें

कुंडली क्या है? वैदिक ज्योतिष में कुंडली भविष्य़ को जानने का एक साधन है और इसे कुण्डली के अलावा जन्मपत्रिका भी कहते हैं । जिसके आधार पर जीवन के विभिन्न पहलू के बारें में जाना जाता है । कुण्डली बनाने के लिये जातक की जन्म तारीख , जन्म का स्थान और जन्म का सही समय चाहिये होता है। जन्म कुंडली में नौ ग्रह और बारह राशियां होती हैं जो मनुष्य के जीवन को प्रभावित करती हैं । 

वैदिक ज्योतिष के सूत्रों के आधार पर ग्रह नक्षत्रों की स्थिति को देखकर कुण्डली का निर्माण किया जाता है। कुण्डली बनाना गणित विषय के अन्तर्गत आता है जबकि कुण्डली से फ़लादेश करना फ़लित विषय के अन्तर्गत आता है। भूत, वर्तमान और भविष्य को जानाने के लिये कुण्डली का सहारा लिया जाता है । भविष्य के बारे में मार्गदर्शन लेने के लिये कुण्डली महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है।

                                       कुंडली में सभी ग्रह, राशियां, नक्षत्र, और भावों के बारे में जानकारी होती है। कुंडली में जन्म लग्न, सूर्य राशि, चंद्र राशि, नक्षत्र, ग्रहों की स्थिति, दशाओं, योगों, और दृष्टि की जानकारी होती है। कुण्डली बनाने के लिये पहले हाथों से गणित करनी पडती है लेकिन वर्तमान में विज्ञान ने बहुत तरक्की कर ली है अत: ज्योतिष के विशेष सॉफ़्टवेयर की सहायता से भी कुण्डली बनाई जा सकती है । हर ग्रह और राशि का अपना स्वभाव और गुण धर्म होता है जिसके आधार पर वे जातक को प्रभावित करते हैं। जैसे ग्रह राशि कें गुण धर्म होते हैं वैसे ही जातक में भी इसके लक्षण पाये जाते हैं।

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कुंडली क्या है और कुंडली कैसे पढ़ें ?:

कुण्डली बनाने और उसका फ़लादेश करने के लिये ज्योतिष का अच्छा ज्ञान होना बहुत आवश्यक है तभी किसी कुंडली का विश्लेषण किया जा सकता है । एक अच्छा ज्योतिष जानने वाला किसी के भी भूत वर्तमान और भविष्य के बारे में बता सकता है ।  कुण्डली में बारह भाव होते हैं और हर भाव से अलग-२ विचार किया जाता है।

प्रथम भाव प्रथम भाव से शरीर, वात-पित्त-कफ प्रकृति, त्वचा का रंग, यश-अपयश, आत्मविश्वास मानसिकता आदि के बारे में जाना जाता है । 
दूसरे भाव दूसरे भाव से धन, आर्थिक स्थिति, परिवार का सुख, घर की स्थिति, दाईं आँख, वाणी, आदि के बारे में जाना जाता है। 
तीसरे भाव तीसरे भाव से बल, छोटे भाई-बहन, नौकर, पराक्रम, धैर्य, आदि विचार किया जाता है । 
चौथे भाव चौथे भाव से मातृसुख, गृह सौख्‍य, वाहन सौख्‍य, जमीन-जायदाद, आदि का विचार किया जाता है। 
पांचवे भाव पांचवे भाव से संतान सुख, विद्या बुद्धि, उच्च शिक्षा, प्रेम संबंध आदि का विचार किया जाता है।
छठे घर छठे घर से शत्रु, रोग, भय, तनाव, कलह, मुकदमा, नौकर-चाकर आदि का विचार किया जाता है। 
सातवें घर सातवें घर से विवाह, शैय्या सुख, जीवनसाथी का स्वभाव, व्यापार, पार्टनरशिप, दूर प्रवास, आदि के बारे में जाना जाता है। 
आठवें घर आठवें घर से आयु निर्धारण, दु:ख, अचानक आने वाले संकटों का विचार किया जाता है । 
नवें घर नवें घर से आध्यात्मिक प्रगति, भाग्योदय, बुद्धिमत्ता, तीर्थ यात्रा आदि का विचार किया जाता है ।
दसवें घर दसवें घर से पद-प्रतिष्ठा, सामाजिक सम्मान, कार्य क्षमता, पितृ सुख, नौकरी व्यवसाय, शासन से लाभ आदि का विचार किया जाता है । 
ग्यारहवें घर ग्यारहवें घर से मित्र, उपहार, लाभ, आय के तरीके आदि के बारे में जाना जाता है। 
बारहवें भाव बारहवें भाव से व्यय, कर्ज, नुकसान, परदेश गमन, संन्यास आदि का विचार किया जाता है।

हमें कुंडली का विश्लेषण क्यों करना चाहिए?:

इसके अलावा शरीर के हर अंग और उससे सम्बन्धित बीमारी की जानकारी भी कुण्डली के माध्यम से पता की जा सकती है । कुण्डली में कोई भी ग्रह कमजोर अवस्था में हो तो ज्योतिष के आधार पर उसके उपाय का सुझाव दिया गया है इसके अन्तर्गत रत्न, मन्त्र, यन्त्र, पूजा और दान के बारे में भी जानकारी दी गई है। अत: कुण्डली के प्रत्येक भाव की जानकारी होना आवश्यक है और ज्योतिष सीखना बहुत कठिन नहीं है। कोई भी ऐसा व्यक्ति जिसकी ज्योतिष में रुचि है वो लगन और मेहनत से ज्योतिष सीख सकता है और अपना तथा लोगों का मार्गदर्शन कर सकता है ।

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