किस दिन कौन से देवता की पूजा करनी चाहिए?

एक सप्ताह में सात दिन होते हैं और जन्म कुण्डली में छाया ग्रह राहु-केतु को छोडकर सात ग्रह होते हैं। इन सात ग्रहों को अलग अलग दिन समर्पित हैं और जन्मकुण्डली में जब कोई भी ग्रह कमजोर या पीडित होता है तो उसे समर्पित दिन में उस ग्रह के लिये पूजा, दान, जप, तप करने से उस ग्रह की शुभता बढ जाती है । इस ब्लोग के अन्तर्गत हम आपको विस्तार से बताने जा रहे हैं कि किस दिन किस देवता की पूजा करने से क्या लाभ मिलता है ।

रविवार:

रविवार सूर्य ग्रह को समर्पित है और इस दिन भगवान सूर्य की खास पूजा अर्चना करने से सूर्यदेव की कृपा बरसती है और आत्मा में शुध्द्विचार और स्फ़ूर्ति प्राप्त होती है । यदि जन्मकुण्डली में यदि सूर्य ग्रह कमजोर हो या पीडित अवस्था में हो तो सूर्य को समर्पित सूर्यवार अर्थात रविवार के दिन पूजा, पाठ, जप, दानादि करना चाहिये । क्योंकि भगवान सूर्य दैनिक रूप से उदय होते हैं इसलिये उन्हें दैनिक रूप से लाल चन्दन युक्त जल से अर्घ्य चढाना चाहिये । भगवान सूर्य की पूजा करने से सूर्य ग्रह मजबूत होता है और शौर्य के साथ सकारात्मक ऊर्जा प्रदान करता है । इस वजह से हम रविवार को सूर्य देवता की पूजा करते हैं ।

सोमवार:

सोमवार चन्द्र ग्रह को समर्पित है और चन्द्रमा मन के कारक होने के साथ भगवान भोले नाथ के मस्तक में विराजमान है। अत: इस दिन भगवान भोले नाथ जी की पूजा करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं और जब भगवान शिव प्रसन्न होते हैं तो सन्तानहीन को सन्तान देते हैं, अविवाहित को मनपसन्द जीवन साथी देते हैं और सुख सम्बृध्दि प्रदान करते हैं । जन्मकुण्डली में यदि चन्द्रमा कमजोर और पीडित हो तो सोमवार के दिन चन्द्रमा की पूजा और दान जप करना चाहिये क्योंकि मजबूत चन्द्रमा उच्च पद के साथ मन की शान्ति भी प्रदान करता है । सोमवार को शिव देवता की पूजा करनी चाहिए ।

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मंगलवार:

मंगलवार पराक्रम के ग्रह मंगल के अलावा श्री रामभक्त हनुमान जी को भी समर्पित है । यदि जन्मकुण्डली में मंगल ग्रह कमजोर स्थिति में हो तो मंगल ग्रह के लिये जप, दान और पूजा इस दिन करनी चाहिये । संकट कटे मिटे सब पीडा अर्थात सभी संकट, कष्ट मिट जाते है और जीवन की किसी भी तरह की पीडा दूर होती है जो श्री हनुमान जी की पूजा करता है उनकी जन्मकुण्डली का मंगल मजबूत होता है। और जिन जातको का मंगल मजबूत स्थिति में होता है वे हर परेशानी का सामना आसानी से कर लेते हैं ।

बुधवार:

बुधबार बुध्दि के प्रतीक श्री गणेश महाराज जी के अलावा बुध ग्रह को भी समर्पित है। बुध ग्रह और गणेश जी की पूजा करने से बुध ग्रह तो मजबूत होता ही है परन्तु सभी प्रकार के बिघ्नों को दूर करने वाले गणेश जी की कृपा भी प्राप्त होती है । जन्मकुण्डली के कमजोर बुध ग्रह के लिये इस दिन पूजा, पाठ, जप दानादि करना चाहिये। मजबूत बुध हमारी निर्णय शक्ति को बढाता है ।

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गुरुवार:

गुरु ग्रह को नवग्रहों में सबसे शुभ ग्रह माना जाता है और इस ग्रह को गुरुवार अर्थात वृस्पतिवार समर्पित है । जन्मकुण्डली में गुरु ग्रह के मजबूत होने से मान,सम्मान,यश और कीर्ति की प्राप्ति होती है जबकि कमजोर गुरु जीवन में बहुत सी परेशानियां लाता है । इसलिये गुरु ग्रह के लिये जप, दान और पूजा गुरुअवार के दिन करने से लाभ मिलता है । इसके अलावा गुरुवार के दिन भगवान विष्णु जी जो कि सृष्टि के पालनकर्ता है उनको भी समर्पित है । भगवान विष्णु जी की पूजा करने से जीवन के कष्टों से मुक्ति मिलती है ।

शुक्रवार:

शुक्रवार मां लक्ष्मी जी, संतोषी माता जी के अलावा शुक्र ग्रह को समर्पित है । सुख सौभाग्य और सौन्दर्य के प्रतीक ग्रह शुक्र यदि जन्मकुण्डली में कमजोर स्थिति में हो तो इस दिन शुक्र ग्रह को मजबूत करने के उपाय करने चाहिये । यदि किसी के जीवन में आर्थिक समस्या चल रही हो और इसके चलते कर्जा हो गया हो और कर्जे से मुक्ति नहीं मिल पा रही हो तो श्रध्दा और भक्ति से इस दिन मां लक्ष्मी जी की पूजा करने से मां शीघ्र प्रसन्न होती हैं और जीवन में चल रहे संकट को दूर करती हैं ।

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शनिवार:

शनिवार का दिन शनिग्रह के साथ श्री शनिदेव जी को समर्पित है । यदि जन्मकुण्डली में शनि ग्रह कमजोर स्थिति में हो तो इस दिन शनि ग्रह के लिये जप, दान और पूजा करनी चाहिये। शनिदेव न्याय के देवता हैं और वे हर गलती की सजा देते है तो साथ में ईमानदारी और मेहनत का फ़ल भी अवश्य प्रदान करते हैं । लोगों के मन में धारणा है कि शनि ग्रह शत्रु होते हैं लेकिन हम आपको बताना चाहते हैं कि शनि शत्रु नहीं मित्र होते हैं । जिसके ऊपर शनि देव की कृपा बरसती है उसे जीवन के सभी सुख – सौभाग्य और सम्पत्ति प्राप्त होती हैं । अत: शनिदेव को प्रसन्न करने के लिये शनिवार को श्रध्दा भक्ति से उनकी पूजा करनी चाहिये।

अब आप जान गए हैं कि कौन से दिन किस देवता की पूजा करनी चाहिए। आशा है कि ये जानकारी से आपको लाभ और सुख मिलेगा।

डा. वेदप्रकाश ध्यानी

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