करवा चौथ 2023: करवा चौथ की कहानी!

करवा-चौथ

करवा चौथ बुधवार 1 नवम्बर 2023 को मनाया जायेगा । अखण्ड सौभाग्य को देने वाले करवा चौथ व्रत की ढेरों शुभ कामनायें!

आज आपको ऐसे अखण्ड सौभाग्य को देने वाले व्रत की महिमा बताने जा रहे हैं जो सदियों से चला आ रहा है। जब पांडवों के वनवास के दौरान अर्जुन तप करने के लिए इंद्रनील पर्वत पर चले गए थे और बहुत दिन व्यतीत हो जाने के बाद भी वे लौटे नहीं तो द्रोपदी को अर्जुन की चिंता सताने लगी और वे परेशान रहने लगी। तभी उनकी चिन्ता के भाव को भगवान श्रीकृष्ण ने स्वयं परख लिया और द्रोपदी के श्री मुख से चिंता का कारण सुनकर करवा चौथ व्रत करने का विधान बताया। द्रोपदी द्वारा व्रत करने और व्रत के फ़लस्वरूप अर्जुन सकुशल पर्वत पर तपस्या पूरी करके शीघ्र लौट आए थे। ऐसे ही जब भी किसी सुहागिन को अखंड सौभाग्यवती का आशीर्वाद मिलता है तो यूं लगता है कि मानो किसी ने आंचल में सारी दुनिया की दौलत डाल दी हो । कार्तिक माह की कृष्ण चन्द्रोदयव्यापिनी चतुर्थी के दिन किया जाने वाला यह करक चतुर्थी व्रत अखंड सौभाग्य की कामना के लिए समस्त सौभाग्यवती स्त्रियों को करना चाहिये। जैसा कि हमने बताया कि करवा चौथ एक पारंपरिक भारतीय त्योहार है जो विशेष रूप से उत्तर भारत और पूर्व में देश के खास-खास हिस्से में मनाया जाता था लेकिन आज मीडिया की तरक्की ने इस व्रत त्योहार को समूचे देश में घर-घर तक प्रचलित कर दिया है । इसी का नतीजा है कि आज शहर ही नहीं बल्कि गांवो मे भी करवा चौथ का व्रत त्योहार के रूप में धूम -धाम से गांवो तक की विवाहित महिलाएं अपने पति की लम्बी उम्र के लिये मनाने लगी हैं । इस व्रत के समापन के बाद पति अपने हाथ से जल पिलाकर पत्नी का व्रत तोडता है और उसे उपहार के रूप में कुछ न कुछ भेंट जरूर करता है ।

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पूजन-विधि:

सम्पूर्ण पूजन सामग्री को एकत्रित करके प्रात:काल स्नानादि करके स्वच्छ कपड़े पहन कर पूर्ण श्रृंगार कर लें। इस अवसर पर श्री गणेश जी और करवा अर्थात मिट्टी के कलश की पूजा-आराधना कर उसके साथ भगवान शिव और मां पार्वती की पूजा करें। क्योंकि माता पार्वती ने भी कठिन तपस्या करके भगवान शिव को प्राप्त कर अखंड सौभाग्य प्राप्त किया था । इसलिए शिव-पार्वती की पूजा की जाती है। सायं काल से पहले सभी सौभाग्यवती स्त्रियां एकत्रित होकर करवा चौथ की कथा का श्रवण करती हैं। करवा चौथ के दिन चंद्रमा की पूजा का धार्मिक और ज्योतिषीय दोनों ही दृष्टि से महत्व है। रात्रि में चन्द्रमा निकलने के बाद छलनी की ओट से देखते हुये चन्द्रमा को अर्घ्य दें। इसके बाद पति से आशीर्वाद लें। पूजन के पश्चात सभी बडॆ बुजुर्गों से आशीर्वाद लें और पति को भोजन कराएं और स्वयं भी भोजन करें।

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करवा चौथ बुधवार 1 नवम्बर 2023
करवा चौथ पूजा मुहूर्त – शाम 05:36 बजे से 06:54 बजे तक
कुल अवधि – 01 घण्टा 18 मि.
करवा चौथ व्रत समय – प्रात: 06:33 बजे से शाम 08:15 बजे तक
कुल अवधि – 13 घण्टे 42 मिनट
करवा चौथ के दिन चन्द्रोदय – शाम 08:15 बजे
चतुर्थी तिथि प्रारम्भ – 31 अक्टूबर 2023 को रात्रि 09:30 बजे से
चतुर्थी तिथि समाप्त – 01 नवम्बर 2023 को रात्रि 09:19 बजे

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