क्या होता है ग्रहण दोष:
किसी भी जातक की कुण्डली में शुभ और अशुभ योग विद्यमान हो सकते हैं, और इन्हीं योगों के आधार पर वर्तमान और भविष्य का निर्धारण होता है। अच्छे योग होने पर मनुष्य को सभी सुख सुविधायें प्राप्त होती है मान-समान मिलता है
जातक समाज में अच्छे कार्यों के लिये जाना जाता है । लोग उसे अपना प्रेरणा स्रोत मानने लगते हैं और उनके बताये पदचिह्नों का अनुसरण करते हैं । ऐसे लोगों को भाग्य का धनी भी कहा जाता है
लेकिन इसके ठीक विपरीत जिन लोगों की कुण्डली में अशुभ योग होते हैं उनकी मेहनत हमेशा व्यर्थ जाती है , मेहनत के बाद भी सफ़लता कोषों दूर रहती है और एक तरह से वह जातक गुमनामी का सा जीवन जीता है। ऐसा ही एक योग है ग्रहण दोष ।
ग्रहण दोष राहु-केतु का संयोग सूर्य और चन्द्रमा के साथ होने से बनता है। सूर्य हमारी आत्मा का कारक माना जाता है जबकि चन्द्रमा मन का कारक होता है। इसलिये कुण्डली में ऐसा योग होना शुभ संकेत नहीं है ।
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राहु-केतु का सूर्य के साथ संयोग:
जब भी कुण्डली में राहु केतु का आत्मा के कारक सूर्य के साथ कुण्डली के जिस भाव में भी ये संयोग बनता है तो उस भाव से सम्बन्धित फ़ल में कमी तो लाता ही है साथ ही आत्मा को दूषित करता है और सम्मान को ठेस पंहुचाता है। जीवन में संघर्ष पैदा करत है और साथ ही मेहनत के अनुरूप फ़ल प्रदान नहीं करता ।
राहु-केतु का चन्द्रमा के साथ संयोग:
कुण्डली के किसी भी भाव में राहु-केतु का मन के कारक चन्द्रमा के साथ संयोग होना भी ग्रहण दोष का सूचक है। ये मनोबल को कमजोर करता है, मन में गलत विचारों का उदय करता है और वो जातक कभी भी आत्मविश्वास के साथ सही प्लेट्फ़ोर्म पर अपनी बात को नहीं रख पाता ।
अपने अनुभवों का लाभ नहीं उठा पाता और सही होने पर भी खुद को सही साबित करने में उसे बहुत दिक्कतों का सामना करना पडता है ।
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प्रभावी ग्रहण दोष के प्रभाव:
– ऐसे जातक के अन्दर आत्मविश्वास और मनोबल की बहुत कमी देखी जाती है।
– ऐसा जातक सम्मानजनक जीवन नहीं जी पाता ।
– जातक के जीवन में हमेशा आर्थिक समस्यायें बनी रहती है और कर्ज में डूबा रहता है ।
– ऐसे जातक को मानसिक समस्यायें घेरे रहती है और वो भविष्य की योजना नहीं बना पाता ।
– जातक को विद्या प्राप्त करने में दिक्कतें आती है ।
– कैरियर समय से सेट नहीं कर पाता ।
– परिवार के सुख में कमी आती है ।
– अभावों का जीवन जीता है ।
– रिश्तों में अडचनें आती रहती है।
– संतान सुख में बाधायें या कमी आती है ।
– विरोधी नुक्शान पंहुचाते हैं ।
– वैवाहिक सुख में कमी आती है ।
– भाग्य साथ नहीं देता ।
– आय होने के बाद भी खर्चों की पूर्ति नहीं हो पाती ।
ग्रहण दोष के सामान्य उपाय:
– सूर्य के साथ दोष बनने पर सूर्य गायत्री मंत्र का प्रतिदिन जाप करना चाहिये ।
– सूर्य को रोजाना जल (अर्घ्य) चढायें ।
– चन्द्रमा के बीजमन्त्र ओम श्रां श्रीं श्रौं स: चन्द्रमसे नम: का जाप करें।
– सूर्य ग्रहण दोष निवारण यन्त्र की स्थापना करें ।
– चन्द्र ग्रहण योग निवारण यन्त्र की स्थापना करें ।
– भगवान शिव की उपासना करें ।
डॉ. वेदप्रकाश ध्यानी
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