हनुमान चालीसा का क्या महत्व है और करने से क्या लाभ है?

हनुमान-चालीसा

हनुमान चालीसा का क्या महत्व है ?
हनुमान चालीसा का पाठ कौन कर सकता है ?
हनुमान चालीसा का पाठ कब करना चाहिये ?
हनुमान चालीसा पाठ करने से क्या लाभ है ?

इन्हीं सब प्रश्नों का जबाव हम आपको इस ब्लॉग के माध्यम से सरल तरीके से देने जा रहे हैं और हमें उम्मीद है कि आपके मन में उठ रहे इन प्रश्नों का जवाब आपको मिल सकेगा।

और तब तक चलता रहता है जब तक वह चंद्र राशि से गुजरकर अगली राशि में प्रवेश नहीं कर लेता। उदाहरण के लिए, 17 जनवरी 2023 को शनि ने मीन राशि के लोगों के लिए ‘शनि साढ़े साती’ शुरू करने के लिए कुम्भ राशि में प्रवेश किया। साथ ही यह धनु राशि के जातकों के लिए ‘शनि साढ़े साती’ के अंत को दर्शाता है।

हनुमान चालीसा का महत्व-

हनुमान चालीसा का महत्व बताने के लिये हमारे पास शब्द कम पड जायेंगे और फ़िर भी हम महत्व बता नहीं पायेंगे , कहने का तात्पर्य यह है कि जब हम हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो महत्व को भी समझते चले जाते हैं । उनकी महिमा के सन्दर्भ में कहा गया है कि श्री हनुमान जी बल, विद्या और बुध्दि के दाता हैं । उनका प्रताप चारों तरफ़ फ़ैला हुआ है, वे गुणों से भरपूर हैं, वे सूक्ष्म से भी सूक्ष्म रूप धारण कर सकते हैं तो बडे से बडा रूप भी, चारों लोकों में उनका यशगान होता है, कठिन से कठिन कार्य आपके आशीर्वाद से हो जाता है, जिनके साथ उनका आशीर्वाद होता है उन्हें किसी भी चीज से डर नहीं लगता ।

उनके नाम मात्र से भूत-पिसाच भी निकट नहीं आते और सारे रोग-पीडा को हरने वाले हैं, वे सब की मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाले हैं साथ ही अष्ट सिध्दि और नौ निधि के दाता हैं । अत: जो भी हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं उनके ऊपर श्री हनुमान जी महाराज की कृपा स्वत: ही बरस जाती है ।

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कौन-कौन कर सकता है हनुमान चालीसा का पाठ?:

सनातन धर्म में आस्था और भगवान में विश्वास रखने वाले सभी लोग हनुमान चालीसा का पाठ कर सकते हैं । वैसे भी हम भगवान में आस्था रखें या ना रखें लेकिन उनकी कृपा सभी के ऊपर सम भाव से रहती है। श्री हनुमान जी भगवान शिव के ही अवतार हैं और वे प्रभु श्री राम के भी प्रिय हैं । भगवान श्री राम कहते हैं कि मुझ तक पहुंचने का सरल मार्ग हनुमान जी के ध्यान, नाम और पूजन है । जिस पर श्री हनुमान जी की कृपा हो जाती है उसे मेरा आशीर्वाद स्वत: ही मिल जाता है। अत: सभी को हनुमान चालीसा पाठ करना चाहिये ।

हनुमान चालीसा का पाठ कब करना चाहिये?:

नित्य प्रतिदिन सुबह, दोपहर, शाम किसी भी समय हनुमान चालीसा का पाठ किया जा सकता है । मंगलवार हनुमान जी को समर्पित है, इसलिये मंगलवार को पाठ करने से विशेष फ़ल की प्राप्ति होती है इसके अलावा शनिवार को भी हनुमान चालीसा का पाठ किया जा सकता है। इससे शनि महाराज की भी कृपा साधक को प्राप्त होती है और जीवन के कष्टों से मिक्ति मिलती है ।

इस पाठ करने से लाभ है :-

1: मंगल ग्रह का दोष दूर होता है ।
2: शनि ग्रह का दोष दूर होता है।
3: शनि की साढे साती से राहत मिलती है।
4: शनि की ढय्या का प्रभाव कम होता है।
5: रोग दूर होते हैं।
6: गुप्त भय नहीं होता ।
7: सिध्दि प्राप्त होती है।
8: ऊपरी बाधा से मुक्ति मिलती है।
9: नौकरी-व्यापार की वृध्दि होती है।
10: जीवन में आने वाले संकट दूर हो जाते हैं ।

किन राशि के जातक को करना चाहिये:

यूं तो सभी राशि के जातक चालीसा का पाठ कर सकते हैं लेकिन मेष राशि, वृश्चिक राशि, मकर राशि और कुम्भ राशि के जातक को नित्य पाठ करना चाहिये । इसके अलावा जिन जातको की कुण्डली में मंगल ग्रह कमजोर हो और जिन राशि के जातकों पर शनि की ढय्या और शनि की साढे साती चल रही हो उन्हें अवश्य ही हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिये 

डॉ. वेदप्रकाश ध्यानी

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श्री हनुमान चालीसा:

दोहा :

श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

चौपाई :

जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।

प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।

जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।

आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।

और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।

दोहा :
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।

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