आखिर क्या होता है पितृदोष ?
धर्म शास्त्रों में भूत, वर्तमान और भविष्य को खास स्थान दिया गया है। ऐसा माना जाता है कि जो हमने पूर्व में कुछ भी अच्छा या बुरा किया है उसका फ़ल हमें अवश्यमेव भोगना ही होता है और कई बार तो इसका फ़ल हमारी आने वाली सन्तान या पीढी को भी मिलता है ।
जिन पूर्वजों के माध्यम से हमें ये शरीर प्राप्त हुआ है और वे अपना पूरा जीवन हमारे सुख के लिये लगा देते हैं और बदले में हम उनकी आत्मा को दु:ख पहुंचाते हैं तो उसका कष्ट हमें स्वयं या सन्तान के दु:ख के रूप में देखने को मिलता है ।
क्योंकि ये संसार ग्रहों के अधीन है और जन्मकुण्डली एक दर्पण है तो हमारी जन्म कुण्डली में पितृ दोष ग्रहों के माध्यम से दर्शित होता है। इसे ही ज्योतिष की भाषा में पितृदोष के नाम से जाना जाता है।
हिंदू धर्म में ऐसी मान्याएं हैं कि मृत्यु लोक से हमारे पूर्वजों की आत्माएं अपने परिवार के सदस्यों को देखती हैं. जो लोग अपने पूर्वजों का अनादर और उन्हें कष्ट देते हैं इससे दुखी दिवंगत आत्माएं उन्हें शाप देती हैं. इस शाप को ही पितृदोष कहा जाता है
कुंडली में कैसे पहचानें पितृदोष :-
यूं तो कुण्डली में ग्रहों के कारण बहुत से दोष बनते हैं जिनका अलग-अलग प्रभाव जातक को अलग-२ तरीके से झेलना पडता है। परन्तु उन सभी दोषों में से एक खास दोष है जिसे पितृ दोष के नाम से जाना जाता है और अक्सर ज्योतिषी को जब भी कुण्डली दिखाई जाती है तो वे कुण्डली में इस दोष के होने के बारे में बताते हैं ।
कुण्डली में सूर्य को आत्मा का कारक ग्रह माना गया है जबकि शनि सूर्य के पुत्र हैं। शनि ग्रह सूर्य से शत्रुता का भाव रखता है । कुण्डली में जब पंचम भाव और नवम भाव में सूर्य के साथ शनि और राहु का संयोग बन रहा हो तो इसे पितृदोष के नाम से जाना जाता है।
ये एक सामान्य प्रकार है जिसे आम ज्योतिषी अपने शब्दों में बताते हैं जबकि मंगल, गुरु और चन्द्रमा का संयोग या दृष्टि के कारण भी पितृ दोष का विचार गहनता से किया जाता है और किया भी जाना चाहिये।
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पितृदोष के प्रभाव :-
जब भी किसी जातक की कुण्डली में पितृदोष हो तो उसे जिन कष्टों से गुजरना पड सकता है वे निम्न प्रकार हैं-
- विवाह योग्य जातक के लिये उचित रिश्ता ना मिल पाना या बात बनते बनते बिगड जाना ।
- वैवाहिक जीवन का सुख निरन्तर ना मिल पाना ।
- सन्तान सुख का अभाव होना ।
- शिक्षा साक्षात्कार में सफ़लता ना मिल पाना ।
- नौकरी में तरक्की ना होना या समय से रोजगार ना मिल पाना ।
- व्यापारा का विस्तार ना हो पाना ।
- हमेशा कर्जे मे डूबा रहना ।
- शारीरिक और मानसिक कष्ट ।
- घर परिवार के क्लेश बना रहना आदि ।
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पितृ दोष को सामान्य उपाय :-
- श्राध्द पक्ष में श्राध्द पिण्ड दानादि करना चाहिये ।
- तीर्थ स्थान पर विशेष पर्वों पर स्नान, दान आदि करना चाहिये ।
- हर अमावस्या को पित्रों के निमित्त भोजन , अनाज आदि दान करना ।
- प्रतिदिन “ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः” मंत्र का जाप करना चाहिये ।
- ग्रहण के दिन पित्रों के निमित्त पूजा-पाठ, स्नान-दानादि करना चाहिये ।
डॉक्टर वेदप्रकाश ध्यानी
जैसा कि अब आप समझ चुके हैं कि पितृदोष क्या है और जीवन को सही दिशा देने के लिये कितना आवश्यक है इस दोष का समाधान। अतः कुंडली मे व्याप्त पितृदोष को किसी भी स्थिति में नजरंदाज नहीं किया जाना चाहिए। अपने पूर्वजों की मुक्ति और अपने जीवन में शक्ति प्राप्ति के लिये पितृदोष शांति महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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