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दिवाली पूजन 2024

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लक्ष्मी पूजन (दिवाली पूजन)

महत्त्व :- किसी भी महत्वपूर्ण या शुभ कार्य को शुरू करने से पहले भगवान गणेश की पूजा की जाती है, क्योंकि भगवान श्रीगणेश जी हमारे जीवन की बाधाओं को दूर करते हैं तथा देवी लक्ष्मीजी की पूजा करने से निश्चित रूप से सुख, समृद्धि और उनकी कृपा बरसती है। माना जाता है कि यदि किसी कार्य में बाधा आ रही है और आर्थिक समस्या भी चल रही है तो लक्ष्मी गणेश पूजन जल्द से जल्द समाधान दे सकता है। अगर कोई नया उपक्रम शुरू करने जा रहे हों तो भी भगवान गणपति और लक्ष्मी जी की पूजा करने से भविष्य में समस्याओं का समाधान मिल जाता है । एक दृढ़ निश्चय के लिए विशेष विधि से लक्ष्मी-गणपति की पूजा करनी चाहिए और दीपावली के दिन इस पूजा से विशेष लाभ मिलता है । पूजन की सरल विधि जानने के लिए आप हमारे पण्डितजी से किसी भी समय बात कर सकते हैं । इसके अलावा आप पूजा की ऑनलाइन बुकिंग भी कर सकते हैं। अभी बुक करें

पूजन की प्रक्रिया :- पंचांग वेदी, नवग्रह मंडप आदि बनाने के बाद चौकी पर गणपति लक्ष्मी जी की मूर्ति या फ़ोटो स्थापित करके देवताओं का उचित संकल्प लेना चाहिये और ईष्ट देव श्री गणेश जी और माँ लक्ष्मी जी को आमंत्रित करके प्रक्रिया के अनुसार पूजा करें। सर्वश्रेष्ठ फ़ल प्राप्ति के लिये सही मुहुर्त में पूजा करना आवश्यक है । उचित मुहूर्त के बिना पूजा निष्फल हो जाती है।
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दीपावली पूजन के लाभ :-

  • व्यापार में वृद्धि।
  • कर्ज से मुक्ति।
  • व्यापार में चल रही परेशानी दूर होती है |
  • घर में खुशियां आती हैं
  • मनोबल बढता है ।
  • सामाजिक सम्मान की प्राप्ति ।
  • लक्ष्मी प्राप्ति |
  • रोजगार के निरन्तरता |
  • घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है ।
  • जीवन की दु:ख-दरिद्रता दूर होती है ।
  • सर्वबाधा से मुक्ति मिलकर धन धान्य की प्राप्ति ।

दीपावली पूजन की सामग्री :- श्री गणेश जी और माँ लक्ष्मी जी की मूर्ति या फ़ोटो, मिट्टी या ताम्बे का कलश, जटायुक्त नारियल, नारियल गोला, रोली, मौली, जौ-तिल, धूप, दीप, नैवैद्य, फ़ल, फ़ूल, ताम्बूल,दूध दही घी शहद, पंचमेवा, सुपारी, लौंग-इलायची, दोने, चावल, पीली सरसों, हल्दी, बूरा पंचरत्न, सप्तमृतिका, सर्वोषधि, आम के पत्ते, पान के पत्ते, धनिया, खील, बताशे, हरी दूब, दीपक इत्यादि की समुचित व्यवस्था कर लें। इसके अलावा घर या प्रतिष्ठान पर लक्ष्मी यन्त्र और व्यापार वृध्दि यन्त्र भी स्थापित किया जा सकता है ।

पूर्ण पूजन विधि :- प्रात: काल उठकर स्नान के नित्य कर्म से निवृत्त होकर शुभ मुहूर्त में घर या व्यावसायिक प्रतिष्ठान के ईशान कोण पर मंदिर की स्थापना करें और किसी चौकी पर आटे या हल्दी से अष्टदाल का कमल बनाकर उसकी मूर्ति या फोटो लगाएं। उस पर भगवान गणेश और लक्ष्मी जी। साथ ही जल से भरा कलश या गंगाजल स्थापित करें। सुगंधा, अक्षत, पंगिफल, सप्तमृतिका, सर्वऔषधि, पंचरत्न और दक्षिणा के रूप में एक सिक्का रखें और आम के पत्ते रखें और ऊपर से थाली या दोना चावल से भरें, फिर ऊपर से जड़े हुए नारियल पर लाल कपड़ा या कलावा रखें। कलश और दोनों हाथ जोड़कर कलश में सभी देवी-देवताओं से अपील करते हैं।
फिर अन्य देवताओं के बारे में भी सोचें। सभी देवताओं को दूध, दही, घी, शहद और चीनी से स्नान कराकर वस्त्र पहनाकर आसन पर बैठ जाएं। फिर हाथों में फूल लेकर आमंत्रित करें। मूर्तियों पर फूल अर्पित करें और चम्मच में पानी लेकर मूर्तियों पर तीन बार छिड़कें, फिर चंदन के लेप से फूलों की माला धारण करें। फिर अगरबत्ती और घी का दीपक दिखाएं और सभी देवताओं को स्वादिष्ट व्यंजन या मिठाई का भोग लगाएं। या देवताओं को खील, बताशे, मिठाई, फल आदि जो कुछ भी उपलब्ध हो, अर्पित करें। मुंह की शुद्धि के लिए लौंग इलायची युक्त पान दें और पूजा में किसी भी प्रकार की कमी को पूरा करने के लिए जितना हो सके उतना धन चढ़ाएं और क्षमा मांगें। घर में दीपक आदि जलाएं। ऐसा करने से घर में सुख-शांति आती है और मां लक्ष्मीजी की कृपा बरसती है।

नोट: StarsTell.com इस साल दिवाली के शुभ अवसर पर ऑनलाइन पूजा की व्यवस्था करने जा रहा है, आप अपने घर बैठे ही ऑनलाइन पूजा भी बुक कर सकते हैं। अभी बुक करें

  • पूजन की तिथि और समय :- 12, नवंबर 2024

  • समय अवधि (मुहूर्त के अनुसार) :- 2 घंटे (लगभग)

  • #ब्राह्मण :- १ ब्राह्मण

  • बुकिंग : 5,1002,100 / -

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