गणपति स्थापना का महत्व
हिन्दू धर्म मे गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व है। भगवान गणेश समस्त विघ्नो को दूर करते है इसी लिये इन्हे विघ्न विनाशक भी कहते है। किसी भी शुभ काम को शुरु करने से पहले गणपति का पूजन किया जाता है। इस तिथि में व्रत करने से सभी विघ्न भगवान गणेश हर लेते हैं।
कैसे करे प्रसन्नचतुर्थी को भगवान गणेश की पूजा करके लड्डू का भोग लगाने से वे शीघ्र प्रसन्न होते है और मनोकामना को पूर्ण करते है। भगवान गणेश जी को शीघ्र प्रसन्न होने वाले देवताओं की श्रेणी मे रखा गया है।
पूजा विधि और स्थापनागणेश चतुर्थी के मौके पर भगवान गणपति की प्रतिमा को घर लाकर पूजा की शुरुआत के जाती है। पूजा से पूर्व दूध दही घी फ़ूल फ़ल मिठाई धूप, आरती थाली, सुपारी, पान के पत्ते और मूर्ति पर डालने के लिए कपड़ा, चंदन आदि तैयार करके नहा धोकर पूजा मे बैठना चाहिये। फ़िर सपरिवार संकल्प लेकर गणपति का पूजन करना चाहिये। भगवान को दूध, दही घी से नहलाकर वस्त्र पहनाने चाहिये। फ़िर धूप दीप करके लद्दू का भोग लगाकर फ़ल पान और दक्षिणा चढानी चाहिये। अन्त मे आरती करके क्षमा याचना करनी चाहिये।
पूजा मुहूर्तमध्याह्न गणेश पूजा का समय = 11:24 से 13:52 , अवधि = 2 घण्टे 28 मिनट्
गणपति विसर्जन विधिविसर्जन से पूर्व स्थापित गणेश प्रतिमा का संकल्प मंत्र के बाद षोड़शोपचार पूजन-आरती करके मूर्ति पर सिंदूर चढ़ाकर दुर्वा-दल चढ़ाएं। 21 लड्डुओं का भोग लगाकर इनमें से 5 लड्डू मूर्ति के पास चढ़ाएं और 5 ब्राह्मïण को प्रदान कर दें। लड्डू प्रसाद के रूप में बांट दें। इसके बाद श्रीगणेश की आरती उतारें और विसर्जन स्थल पर ले जाते हैं। “गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ” कहकर उन्हें विदाई देते हैं.। पुन: एक बार आरती करके प्रतिमा को जल में विसर्जित कर दिया जाता है।
अनन्त चतुर्दशी पर गणेश विसर्जन होगाचतुर्दशी तिथि प्रारम्भ सितम्बर 12,2019 को प्रात: 05:06 से सितम्बर 13, 2019 को प्रातः 07:35 बजे तक बृहस्पतिवार सितम्बर 12, 2019 को प्रातः मुहूर्त – 06:29 से 08:00 प्रातः मुहूर्त – 11:03 से 03:38 pm अपराह्न मुहूर्त – 05:09 pm से 09:38 pm रात्रि मुहूर्त – 12:35am से 02:03 am सितम्बर 13
लाभ –गणेश चतुर्थी व्रत को करने से जीवन मे आनन्द की अनुभूति होती है और जीवन की परेशानियो से मुक्ति मिलती है।
चतुर्थी व्रत विधिइस व्रत को करने की विधि भी श्री गणेश के अन्य व्रतों के समान ही सरल है. व्रत के दिन उपवासक को प्रात:काल में जल्द उठना चाहिए. सूर्योदय से पूर्व उठकर, स्नान और अन्य नित्यकर्म कर, सारे घर को गंगाजल से शुद्ध कर लेना चाहिए. स्नान करने के लिये भी अगर सफेद तिलों के घोल को जल में मिलाकर स्नान किया जाता है. तो शुभ रहता है. प्रात: श्री गणेश की पूजा करने के बाद, दोपहर में गणेश के बीजमंत्र ऊँ गं गणपतये नम: का जाप करना चाहिए.। इसके पश्चात भगवान श्री गणेश जी की धूप, दूर्वा, दीप, पुष्प, नैवेद्ध व जल आदि से पूजन करना चाहिए. और भगवान श्री गणेश को लाल वस्त्र धारण कराने चाहिए. अगर यह संभव न हों, तो लाल वस्त्र का दान करना चाहिए.