भौम प्रदोष व्रत तिथि के अनुसार त्रयोदशी तिथि को होता है। और यह तिथि महीने में दो बार आती है एक शुक्ल पक्ष में और एक कृष्ण पक्ष में । इस व्रत के दिन भगवान शंकर की पूजा अर्चना की जाती है मंगल ग्रह को भौम नाम से भी जाना जाता है। जिन जातकों की कुण्डली में भौम दोष होता है और यदि उनके जीवन मे परेशानियां आ रही हैं या वैवाहिक संयोग नहीं बन पा रहा हो तो वे जातक भी इस दिन व्रत का आचरण करके दोष की शान्ति कर सकते हैं । इसके अलावा कर्ज मुक्ति, जाने अनजाने में किये गये पापों को दूर करने, आत्मिक सन्तुष्टि आर्थिक सम्बृध्दि की प्राप्ति के लिये भौम प्रदोष व्रत किया जाता है। जिनकी कुण्डली में मंगल दोष विद्यमान हो वे इस दिन व्रत का आचरण करके मंगल ग्रह के लौकिक, वैदिक या बीज मन्त्र का अपनी श्रध्दा के हिसाब से यथा शक्ति जाप, हनुमान के मन्दिर या शिव मन्दिर में हनुमान चालीसा का पाठ करके बजरंग बली को बूंदी के लड्डू अर्पित करें इससे समस्त प्रकार की मनोकामना पूर्ण होती हैं।
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