कैसे करें सूर्य ग्रह की शान्ति!
किसी भी जातक की जन्म कुण्डली में सूर्य का बलवान होना बहुत आवश्यक है, क्योंकि सूर्य ग्रह आत्मा के कारक ग्रह और ग्रहों के मन्त्रिमण्डल में राजा माने जाते हैं । जन्मकुण्डली में सिंह राशि के स्वामी ग्रह सूर्य हैं जो कि एक राशि का प्रतिनिधित्व करते हैं। सूर्य के बिना जीवन की कल्पना अधूरी है और ये ऊर्जा प्रदान करते हैं । इसके अलावा चन्द्रमा भी एक राशि का प्रधिनिधित्व करता है और बाकी सभी ग्रह दो-दो राशियों के स्वामी हैं।
सूर्य ग्रह की मूल त्रिकोण राशि भी सिंह है और सूर्य ग्रह मेष राशि में उच्च के और सातवीं राशि तुला में नीच के होते हैं । कोई भी ग्रह जब अपनी उच्च राशि में होते हैं तो वे सर्व श्रेष्ठ फ़ल प्रदान करते हैं और नीच में होकर शुभ फ़ल में कमी आ जाती है। सूर्य ग्रह लग्न के कारक भी होते हैं और लग्न भाव से जातक की मानसिकता, आत्म-विश्वास, व्यक्तित्व ,सम्मान और ऊर्जा आदि का विचार किया जाता है। लग्न कुंडली में सूर्य ग्रह जिस भी भाव का स्वामी होगा उसी के अनुसार फ़ल देगा ।
उच्च या बलवान सूर्य का प्रभाव:
जिस भी जातक की कुण्डली में सूर्य उच्च के, स्वराशि के और बलवान होते हैं ऐसे जातक उच्च पद या प्रशासनिक सेवा प्राप्त करता है । साथ ही जातक सिद्धान्तवादी, अनुशासन प्रिय और योग्य प्रशासक होता है ।
सूर्य को देव रूप में पूजा जाता है और इन्हें दिनों में रविवार समर्पित है। जब भी जन्मकुण्डली का अवलोकन या विश्लेषण किया जाता है तो सूर्य ग्रह की स्थिति पर सबसे पहले बिचार किया जाता है । सूर्य ग्रह के सम्पर्क में आने से निश्चित डिग्री पर अन्य ग्रह अस्त अवस्था में आकर कमजोर हो जाते हैं ।
नीच या कमजोर सूर्य का प्रभाव:
यदि किसी भी जातक की कुंडली में सूर्य ग्रह नीच के या कमजोर स्थिति में हों तो जातक को शुभ फ़ल के ठीक विपरीत फ़ल की प्राप्ति होती है । जिसके फ़ल स्वरूप कीर्ति और मान-सम्मान में कमी आती है, रोगप्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, ह्रदय रोग, पेट की बीमारी और आँख में भी कमजोरी आने की सम्भावना बढ़ जाती है।
साथ ही ऐसा जातक दूर से ही पहचान में आ जाता है क्योंकि उसके चेहरे का तेज और लालिमा फ़ीकी पड जाती है। साथ ही आलस्य भी बढ जाता है और जातक अहंकारी, उदास रहने वाला, विश्वास की कमी, ईर्ष्यालु और छोटी-२ बातों पर क्रोध करने लगता है ।
सूर्य ग्रह की शान्ति के उपाय:
ज्योतिष शास्त्र में सूर्य ग्रह की शान्ति के लिये निश्चित संख्या या यथासामर्थ्य मन्त्र जाप , दान, स्नान, हवन, जड़ी-बूटी धारण, रत्न धारण करना, औषधि स्नान, व्रत, यन्त्र स्थापना और पूजन आदि का सुझाव दिया गया है ।
• सूर्योदय के समय नित्य या रविवार को ताम्रपात्र में जल, गंगाजल, रक्त पुष्प, रक्त चन्दन, रोली मिलाकर अर्घ्य चढाना चाहिये ।
• सूर्य ग्रह के वैदिक मन्त्र, लौकिक मन्त्र, सूर्य गायत्री मन्त्र या बीज मन्त्र का जाप करना चाहिये ।
• आदित्यह्दयस्त्रोत का पाठ करना चाहिये ।
• नित्य सूर्य नमस्कार करना चाहिये ।
• माणिक रत्न धारण करना चाहिये ।
• औषधि मनः शिला, इलायची छोटी, देवदारू, केशर, खस, कनेरादि लाल पुष्प से मिले हुये जल से स्नान करना चाहिये ।
• घर की पूर्व दिशा को हमेशा स्वच्छ रखना चाहिए।
• घर में लगे पौधों में जीवन होता है अत: उन्हें हरा भरा रखना चाहिये ।
• अपने से बडों का सदा सम्मान करना चाहिये ।
• कनक, माणिक्य, तांबा, स्वर्ण, लाल गाय, गुड, घी, कमल, लाल वस्त्र और केशर आदि का यथा शक्ति दान करना चाहिये।
सूर्य ग्रह की शान्ति हेतु मन्त्र:
• सूर्य वैदिक मंत्र – आकृष्णेन रजसा वर्तमानो निवेश्शयन्नमृतम्मर्त्यञ्च । हिरण्येन सविता रथेना देवो याति भुवनानि पश्यन् ॥
• तंत्रोक्त मंत्र – ॐ ह्रां ह्रीं ह्रों सः सूर्याय नमः
• सूर्य नाम मंत्र – ॐ घृणि सूर्याय नमः
• का पौराणिक मंत्र – ॐ जपाकुसुम संकाशं काश्यपेयं मेहद्धयितम तमोरिमसर्वपापघ्नं प्रणतोस्मि दिवाकरम
• सूर्य गायत्री मंत्र – ॐ अदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमही। तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ||
Dr. VEDPRAKASH DHYANI
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