प्रत्येक वर्ष सावन मास मे हरेक शिवालय ओम नम: शिवाय: और बम बम भोले के उद्घोष से गूंजने लगते हैं। पूरे महीने भर मंदिरों में भक्तों की भीड़ रहती है और लोग अपनी मनोकामना की पूर्ति के लिये पूरे विधि विधान श्रध्दा और भाव से अपने आराध्य देव भगवान भोले नाथ जी की पूजा -अर्चना करते हैं। भगवान शिव शीघ्रता से प्रसन्न होने वाले देवताओं मे से एक हैं। श्रावण मास में पूरे शिव परिवार का रुद्राभिषेक पूजन करके समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करे। यूं तो ये पूरा महीना ही भगवान शिव को समर्पित है परन्तु ऐसा मानना है कि सावन मास के प्रत्येक सोमवार को जो भी भक्त श्रध्दा के साथ व्रत-पूजा करता है भोले नाथ शीघ्र ही उसकी मनोकामनायें पूर्ण कर देते हैं। अविवाहितों को मन इच्छित जीवन साथी, नि:सन्तानों को सन्तान सुख , भय भीत को भय से मुक्ति और धन-सम्पत्ति के अलावा, मान,सम्मान, यश और कीर्ति मिलती है। भारत के सभी द्वादश ज्योतिर्लिंगों पर इस महीने विशेष पूजा-अर्चना की जाती है।
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बात करते हैं कांवड की:
कांवड लाने की प्रथा सदियों से चली आ रही है। शिव भक्त श्रध्दा और भाव से विभोर गंगाजल को मटकियों में भरकर बम भोले के उदघोष के साथ अपने गन्तव्य को प्रस्थान करते हैं। कांवड़ के व्युत्पत्ति परक जो अर्थ किए गए हैं, उनमें एक के अनुसार क अक्षर अग्नि का द्योतक है और आवर का अर्थ ठीक से वरण करना। आशय यह है कि अग्नि अर्थात स्रष्टा, पालक एवं संहारकर्ता परमात्मा हमारे मार्गदर्शक बनें और वही हमारे जीवन का लक्ष्य हों ।
कांवड यात्रा सावन के पवित्र मास में की जाने वाली धार्मिक संकल्प यात्रा है। जो भगवान शिव और मां गंगा को समर्पित है। कांवड यात्रा का संकल्प मनोकामना पूर्ण होने या सांसारिक सुखों की कामना के लिये किया जाता है। हर आयु वर्ग के लोग इस श्रध्दा पूर्ण यात्रा में बडे ही हर्षोल्लास के साथ सम्मिलित होते हैं। यहां तक कि कुछ श्रध्द्दालु तो प्रत्येक सावन में कांवड लेने जाते हैं। और कुछ लोग कम से कम दोहरी यात्रा में विश्वास रखते हैं।
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सावन के महीने में यूं तो देश के कोने–२ से सनातन धर्मावलम्बी मां गंगा के निकटवर्ती तटों से गंगाजल भरकर कांवड लाते हैं लेकिन शास्त्रानुसार हर की पौडी, हरिद्वार और गोमुख, गंगोत्री से कांवड लाने का विशेष महात्म्य बताया गया है। श्रद्धालु अपने कधों पर कांवड उठा कर बम बम भोले का उदघोष करते हुये अपने निर्धारित गंतव्य शिवालयों पर पंहुचते हैं और कांवडों में भरे गंगाजल से श्रावण की त्रयोदशी और चतुर्दशी को हर्षोल्लास से शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं।
कांवड यात्रा वास्तविकता में एक ऐसा संकल्प है जो श्रध्द्दालु अपने ईष्ट भगवान भोलेनाथ को प्रसन्न करने हेतु लेते है। कांवड लाने वाले श्रध्दालु कांवड यात्रा के दौरान शुध्द सात्विक आहार, आचार– विचार का पालनकरते हैं और यात्रा के दौरान निरन्तर भगवान भोले नाथ का स्मरण तथा बम बम भोले का उच्चारण करते है। इससे आत्मिक शुध्दि और सन्तुष्टि प्राप्त होती है।
इस धार्मिक उत्सव की विशेषता यह है कि सभी कांवड़ यात्री केसरिया रंग के वस्त्र धारण करते हैं और बच्चे, बूढ़े, जवान, स्त्री, पुरुष सबको एक ही भाषा में बोल–बम के नारे से संबोधित करते हैं। केसरिया रंग जीवन में ओज , साहस, आस्था और गतिशीलता का प्रतीक है
पूजा मुहुर्त:
सावन शिवरात्रि शनिवार 15 जुलाई 2023 को है
निशिता काल पूजा समय – 15 जुलाई मध्यरात्रि 12:07 से 12:48 तक जुलाई 16
कुल अवधि – 00 घण्टे 41 मिनट
16 जुलाई को, सावन शिवरात्रि पारण समय – प्रात: 05:33 से शाम 03:54 तक
रात्रि प्रथम प्रहर पूजा समय – 15 जुलाई शाम 07:21 से रात्रि 09:54 तक
रात्रि द्वितीय प्रहर पूजा समय – रात्रि 09:54 से 12:27 (जुलाई 16)
रात्रि तृतीय प्रहर पूजा समय – 16 जुलाई प्रात: 12:27 से 03:00 तक
रात्रि चतुर्थ प्रहर पूजा समय – प्रात: 03:00 बजे से 05:33 तक
चतुर्दशी तिथि प्रारम्भ – 15 जुलाई 2023 को रात्रि 08:32 मिनट से
चतुर्दशी तिथि समाप्त – 16 जुलाई 2023 को रात्रि 10:08 बजे तक
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