नाग पंचमी
श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को नाग व्रत याने कि नाग पंचमी का व्रत किया जाता है। इस दिन नाग देवता का पूजन किया जाता है। सर्पों का प्रकृति के साथ गहरा सम्बन्ध रहा है। हमारे कृषि प्रधान देश में कहा जाता है कि सांप हमारे खेतों का रक्षण करता है और चूहे आदि जीवों से हमारी फ़सल को भी बचाता है । साथ ही नाग देवता को भगवान शिव का आभूषण भी माना गया है। माना जाता है कि पृथ्वी शेष नाग के फ़न के ऊपर स्थित है और शेष शैय्या पर भगवान विष्णु विराजते हैं । भगवान श्री कृष्ण के जन्म के समय नाग देवता के सहयोग से वासुदेवजी ने यमुना पार की थी। इसके अलावा समुद्र-मंथन के दौरान वासुकी नाग ने देवताओं की मदद की थी। इस वजह से भी नाग देवता की पूजा की जाती है।
जहां एक ओर नाग पूजन का धार्मिक महत्व है तो वहीं इसके पीछे ज्योतिषीय कारण भी माने गये हैं । कुण्डली विश्लेषण के समय ग्रहों द्वारा निर्मित कुण्डली के राज योगों की चर्चा होती है , वही दूसरी ओर इन्हीं ग्रहों के द्वारा बनने वाले दोषों की भी गणना की जाती है जो जीवन के विभिन्न भागों को प्रभावित करते हैं । इन्ही दोषों मे से एक दोष है काल सर्प दोष । काल सर्प दोष के कारण जीवन में विभिन्न परेशानियां जन्म लेती हैं और जातक के अन्दर निराशा का भाव आ जाता है। ऐसे में विद्वान ज्योतिषी काल सर्प दोष की शान्ति करने की सलाह देते हैं ।
माना जाता है कि श्रावण का महीना काल सर्प दोष पूजा के लिये उत्तम है परन्तु नाग पंचमी का दिन सर्वोत्तम है। इस दिन तीर्थ स्थान या मन्दिर में नाग पूजन करने से दोष के कुप्रभावों में कमी आ जाती है। अत: नाग पंचमी का दिन काल सर्प दोष शान्ति के लिये खास मुहुर्त माना जाता है। यूं तो हर महीने पंचमी तिथि आती है लेकिन श्रावण मास में आने वाली पंचमी तिथि का महत्व इस लिहाज से और भी बढ जाता है।